ईमानदार IAS दुर्गा की दिलचस्प कहानी…

यूपी कैडर की आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल छत्तीसगढ़ की रहने वाली हैं। उन्होंने आईएएस परीक्षा में बैठने से पहले कम्प्यूटर इंजीनियरिंग में ग्रैजुएशन किया। इसके बाद वे दिल्ली में कैंट इलाके के बी 5 पुलिस थाना क्षेत्र में देविंदर मिन्हास के यहां रहकर सिविल सर्विस परीक्षा की तैयारी में लग गईं।
2009 में सिविल सेवा परीक्षा में दुर्गा शक्ति ने देश में 20वीं रैंक हासिल की। ट्रेनिंग पूरी होने के बाद दुर्गा को 2010 बैच एलॉट किया गया और कैडर मिला पंजाब कैडर। लेकिन यहां ज्वाइन करने के कुछ समय बाद ही उनकी शादी यूपी कैडर के आईएएस अफसर अभिषेक सिंह से हुई। मैनेजमेंट एकाउंटेंसी में पोस्ट ग्रैजुएट हैं और 2011 बैच के आईएएस अफसर हैं।
इसी के बाद दुर्गा ने यूपी कैडर में ट्रांसफर ले लिया था। पिछले सितम्बर से वह गाजियाबाद में एसडीएम सदर के पद की जिम्मेदारी संभाल रही थीं। यूपी के आईएएस अफसरों में दुर्गा शक्ति की छवि एक शांत और अपने काम में लगी रहने वाली महिला अफसर की है। 11 महीने गौतमबुद्धनगर में गुजारने के दौरान ही दुर्गा शक्ति यमुना और हिंडन नदी के किनारे अवैध खनन के काले कारोबार पर नकेल कसने के लिए स्पेशल फ्लाइंग स्क्वायड बनाया। अब तक वह यूपी सरकार को लाखों रुपए का फायदा करा चुकी थीं।
उधर आईएएस अफसर दुर्गा शक्ति नागपाल को निलंबित किए जाने के कदम पर यूपी सरकार बुरी तरह घिरती दिख रही है। एक तरफ आईएएस एसोसिएशन ने आज प्रदेश के कार्यवाहक मुख्य सचिव से मिलकर दुर्गा शक्ति के निलंबन वापसी की मांग रखी, साथ ही मामले में उच्च स्तरीय जांच कराने की भी मांग की। मुख्य सचिव कह रहे हैं कि मुख्यमंत्री के आने पर उन्हें बताया जाएगा।
दरअसल मामले में यूपी सरकार ने सफाई दी है कि दुर्गा शक्ति नागपाल बतौर एसडीएम निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिरवा दी थी, जिसके कारण साम्प्रदायिक तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। मामले में आईएएस एसोसिएशन सरकार के इस कदम से बेहद खफा दिख रहा हैं। इसी क्रम में आज एसोसिएशन के सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा व अन्य दुर्गा शक्ति को साथ लेकर कार्यकारी मुख्य सचिव आलोक रंजन के पास पहुंचे। पूरा मामला उनके सामने रखते हुए अधिकारियों ने मांग की कि दुर्गा शक्ति चूंकि प्रोबेशन पर चल रही हैं और उनकी नौकरी महज 11 महीने की ही हुई है ऐसे में उनका निलंबन वापस लिया जाए।
इसके लिए चाहे तो उच्चतस्रीय जांच भी करा ली जाए ताकि किसकी गलती थी उसका पता चल सके। आलोक रंजन के अनुसार एसोसिएशन की इस मांग को मुख्यमंत्री के लखनऊ लौटते ही अवगत कराया जाएगा। मुख्य सचिव से मिलकर लौटे एसोसिएशन के सचिव पार्थ सारथी सेन शर्मा ने कहा कि दुर्गा शक्ति का निलंबन वापस लिया जाना चाहिए, उन्होंने अपनी मांग रख दी है।
वहीं कई अफसर यूपी सरकार के इस कदम पर सवाल उठाते हुए कहते हैं कि एक निर्माणाधीन मस्जिद की दीवार गिराने और साम्प्रदायिक तनाव फैलने के डर से जब सरकार आईएएस को निलंबित कर सकती है तो यूपी के हर दूसरे जिले में जो दंगे हुए उसमें ये कार्रवाई क्यों नहीं दिखाई दी। नागपाल 2010 बैच की आईपीएस हैं, उनकी यूपी कैडर में ज्वाइन किए करीब 11 महीने ही हुए थे, ऐसे में प्रोबेशन पर चल रहे एक अफसर को इस तरह से निलंबित किया जाना एक पक्षीय कार्रवाई की शंका पैदा करता है। दूसरी बात ये इस मामले की उच्चस्तरीय जांच होनी चाहिए कि आखिर एसडीएम दुर्गा शक्ति को कार्रवाई करने का आदेश किसने दिया था?
ये अफसर कहते हैं कि पिछले साल मथुरा के कोसीकलां में हिंसा हुई, उसमें किसी को निलंबित नहीं किया गया। प्रतापगढ़ के आस्थान गांव में मुस्लिमों के मकान जला दिए गए, लेकिन डीएम के खिलाफ कोई कार्रवाई तक नहीं हुई। इसी तरह बरेली में दो-दो दंगे हुए, इसी तरह लखनऊ, इलाहाबाद, मेरठ, मुजफ्फरनगर भी साम्प्रदायिक दंगों का शिकार हुआ लेकिन यहां किसी आईएएस अफसर पर कोई कार्रवाई नहीं की गई।
यही नहीं फैजाबाद दंगों में भी किसी आईएएस के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई। यही नहीं पशु तस्करी मामले में पिछले साल जब गोंडा के एसपी ने एक स्टिंग ऑपरेशन कर लिया और उसमें एक राज्यमंत्री का नाम सामने आया तो यूपी सरकार ने बजाए उस राज्यमंत्री पर कार्रवाई करने के उलटे एसपी को ही पद से हटा दिया।
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Posted by
जय हिन्द
on Jul 31 2013. Filed under
खबर.
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