चारा घोटाले में लालू दोषी, भेजे गए रांची जेल
नई दिल्ली। रांची की सीबीआई कोर्ट ने चारा घोटाले में राष्ट्रीय जनता दल अध्यक्ष लालू यादव को दोषी करार दिया है। इसके साथ ही कोर्ट ने 44 और आरोपियों को भी दोषी करार दिया है। इस फैसले के तुरंत बाद लालू को हिरासत में ले लिया गया है। लालू सहित 38 दोषियों की सजा पर फैसला 3 अक्टूबर को होगी। सात दोषियों को तीन-तीन साल की सजा सुनाई गई है। लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा है कि फैसले को हाईकोर्ट में चुनौती दी जाएगी। वहीं कोर्ट के फैसले के बाद लालू को बिरसा मुंडा जेल ले जाया गया है।
कोर्ट में 7 आरोपियों के वकील को कहा गया कि इनकी सजा पर बहस आज ही शुरू की जाए। इसमें दो नेता विद्यासागर निषाद, ध्रुव भगत और के अमुगम (आईएएस अफसर) और चार सप्लाइर हैं। कोर्ट ने इन्हें तीन-तीन साल की सजा सुनाई। बाकी 38 दोषियों में लालू यादव, जगन्नाथ मिश्रा, जगदीश शर्मा शामिल हैं। इन्हें तीन अक्टूबर को सजा सुनाई जाएगी वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए। इससे साफ है कि इन्हें तीन साल से ज्यादा की सजा होने वाली है।
आरोपियों के वकील सुनील कुमार सिन्हा ने कहा कि जिन-जिन को तीन साल से कम सजा मिली है उन्हें बेल मिलने की संभावना है। जिनकी सजा पर सुनवाई तीन अक्तूबर को है उनकी सजा का ऐलान उसी दिन वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए होगा। लव एंड ऑर्डर और लोगों की सहूलियत को देखते हुए ऐसा कदम उठाया गया है। दोषी जेल में ही रहेंगे, यहां नहीं लाया जायेगा। वहीं से वीडियो कांफ्रेंसिंग के ज़रिए सजा सुनाई जाएगी।
दोषियों में पूर्व मंत्री जगन्नाथ मिश्र, जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा भी शामिल हैं। इन सभी पर 37 करोड़ 68 लाख रुपए के चारा घोटाले का आरोप है। दागी नेताओं से जुड़े अध्यादेश के खिलाफ बने माहौल के बीच लालू के इस केस पर पूरे देश की नजर थी। फैसले के मद्देनजर बिहार के सभी जिलों में अलर्ट जारी किया गया है, ताकि फैसले के बाद उनके समर्थक किसी तरह का हंगामा न कर सकें।
37 करोड़ रुपए निकालने का आरोप
चर्चित चारा घोटाले में 17 साल की लंबी सुनवाई के बाद आखिरकार सीबीआई की विशेष अदालत आरजेडी प्रमुख लालू यादव पर अपना फैसला सुना दिया। लालू यादव पर चाईबासा कोषागार से अवैध तरीके से 37 करोड़ 68 लाख रुपए निकालने का आरोप है। इस मामले में सीबीआई ने उनके खिलाफ 19 मार्च 1996 को एफआईआर दर्ज की थी। इसी मामले में लालू यादव को 30 जुलाई 1997 को गिरफ्तार किया गया था। करीब 6 महीने जेल में रहने के बाद लालू दिसंबर में जेल से बाहर आ पाए थे।
1996 में सीबीआई को सौंपा मामला
लेकिन इस बार संकट बड़ा हो सकता है। लालू की तरफ से 16 दिन तक बहस के बाद 17 सितंबर को कोर्ट ने अपना फैसला 30 तारीख के लिए सुरक्षित रख लिया था। लालू यादव के वकील चितरंजन सिन्हा का कहना है कि उन्नीस सौ छियानवे में इस मामले को सीबीआई को दिया गया था। सीबीआई ने कहा की इसमें ये लोग संलिप्त हैं।
7 साल की हो सकती है सजा
दागी नेताओं से जुड़े अध्यादेश के खिलाफ देश में बने माहौल के बीच लालू के इस केस पर सबका ध्यान था। लालू दोषी पाए गए हैं और उन्हें 6 महीने से लेकर 7 साल तक की सजा हो सकती है। सुप्रीम कोर्ट के ताजा फैसले के बाद अगर उनकी सजा 2 साल से ज्यादा की हुई तो तुरंत ही संसद की सदस्यता खारिज हो जाएगी। सजा काटने के लिए बाद भी अगले 6 साल तक वो चुनाव नहीं लड़ पाएंगे। जेल जाने के बाद पार्टी और बिहार की जमीन पर उनकी रही-सही पकड़ भी कमजोर होनी तय है।
इस केस में बरी होने पर भी राहत नहीं
चाईबासा केस में लालू के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा और जेडीयू सांसद जगदीश शर्मा पर भी घोटाले में शामिल रहने का आरोप थे। चाईबासा केस के अलावा लालू पर और भी आरोप हैं। लालू पर चारा घोटाले के दौरान रांची के डोरंडा से 184 करोड़ की अवैध निकासी, दुमका कोषागार से 3.47 करोड़ की अवैध निकासी, देवघर कोषागार से 97 लाख की अवैध निकासी के मामले चल रहे हैं। मुकदमा करने वाले सरयु राय ने बताया कि यह घोटाला पहले से चला आ रहा था। लेकिन लालू के सत्ता में आते ही इसका पैमाना और बढ़ गया।
लालू ने राबड़ी को बना दिया था सीएम
नब्बे के दशक में चारा घोटाला तब सुर्खियों में आया जब बिहार के पशुपालन विभाग में जानवरों के लिए चारे की खरीद और ढुलाई में तमाम गड़बड़ियां पाई गईं। जांच में ये तक सामने आया कि जानवरों के चारे की ढुलाई के लिए कागजों पर स्कूटर और मोटरसाइकिल तक का इस्तेमाल दिखाया गया। बवाल मचा तो लालू की गिरफ्तारी भी हुई। उस वक्त अपना दबदबा कायम रखने के लिए लालू ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को मुख्यमंत्री बनवा दिया था।
बेहद कम पढ़ी-लिखी राबड़ी का मुख्यमंत्री बनना उस समय बहुतों को अखरा। लेकिन लालू अपनी जिद पर अड़े रहे। कहते हैं खुद राबड़ी भी सीएम बनने के लिए तैयार नहीं थीं। लेकिन लालू ने उन्हें सीएम बनाकर जेल से ही बिहार की सत्ता पर राज किया। अब 17 साल बाद इस केस में फैसले की घड़ी आई है। 17 साल पहले सुर्खियो में आये चारा घोटाले में तब पचास से भी ज्यादा लोगों का नाम सामने आया था। जिसमें किसी की मौत हो गयी तो कुछ लोग बरी भी हो गये। लेकिन इस चारा घोटाले के आरोप में राजनेता बचते रहे।
News Source : IBN

Short URL: http://jayhind.co.in/?p=3204