प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार को भारतीय नौसेना के सबसे बड़े एयरक्राफ्ट करियर आईएनएस विक्रमादित्य को देश को सौंपेंगे। गोवा तट के करीब होने वाले कार्यक्रम में पहुंचने वाले मोदी का किसी रक्षा इकाई का बतौर पीएम पहला दौरा होगा। इस मौके पर मोदी के साथ रक्षा मंत्री अरुण जेटली के अलावा कुछ सीनियर रूसी अधिकारी भी शामिल होंगे। कार्यक्रम के दौरान नौसेना मोदी के सामने कई तरह के हैरतअंगेज कारनामे पेश करेगी। आईएनएस विक्रमादित्य आईएनएस विराट के बाद देश का दूसरा एयरक्राफ्ट करियर है। नेवी में इसके शामिल होने के बाद भारत एशिया का पहला ऐसा देश बन गया है, जिसके पास इस तरह के दो युद्धपोत हैं। जहां तक चीन की बात है, उसने इसी साल अपना पहला एयरक्राफ्ट करियर लायनिंग लॉन्च किया है। खबरों के मुताबिक, चीन दो और युद्ध पोत बना रहा है।
एंटनी ने बताया था गेमचेंजर
आईएनएस विक्रमादित्य 16 नवंबर, 2013 को भारतीय नौसेना में शामिल हुआ। तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इसे नौसेना में शामिल किया था और इसे गेमचेंजर बताया था। भारत और रूस के बीच 2004 में 94.7 करोड़ डॉलर में इस पोत का सौदा हुआ था। इस पोत की सप्लाई में दो बार देरी हुई और इसके पुनर्निर्माण की लागत बढ़कर 2.3 अरब डॉलर हो गई। रूस और भारत के बीच डिफेंस पार्टनरशिप की दिशा में यह एक और बड़ा कदम है। मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह रूस के साथ सामरिक रिश्तों को और मजबूत करेंगे।
आईएनएस विक्रमादित्य 16 नवंबर, 2013 को भारतीय नौसेना में शामिल हुआ। तत्कालीन रक्षा मंत्री एके एंटनी ने इसे नौसेना में शामिल किया था और इसे गेमचेंजर बताया था। भारत और रूस के बीच 2004 में 94.7 करोड़ डॉलर में इस पोत का सौदा हुआ था। इस पोत की सप्लाई में दो बार देरी हुई और इसके पुनर्निर्माण की लागत बढ़कर 2.3 अरब डॉलर हो गई। रूस और भारत के बीच डिफेंस पार्टनरशिप की दिशा में यह एक और बड़ा कदम है। मोदी के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने इस बात के संकेत दिए हैं कि वह रूस के साथ सामरिक रिश्तों को और मजबूत करेंगे।
आईएनएस विक्रमादित्य की खासियतें
– रूस से 2.3 अरब डॉलर यानी करीब करीब साढ़े 13 हजार करोड़ में खरीदा गया है आईएनएस विक्रमादित्य।
– रूस से 2.3 अरब डॉलर यानी करीब करीब साढ़े 13 हजार करोड़ में खरीदा गया है आईएनएस विक्रमादित्य।
– रूस से खरीदे जाने से पहले यह सोवियत संघ और रूसी फेडेरशन की नौसेनाओं में ‘बाकू’ और ‘एडमिरल गोर्शकोव’ के नामों से अपनी सेवा दे चुका है। सोवियत नौसेना में यह 1987 में शामिल किया गया था और उसे 1996 में सेवा से हटा लिया गया, क्योंकि उसका खर्च सोवियत संघ के विघटन के बाद बहुत अधिक माना गया।
– करीब 284 मीटर लंबा यह युद्धपोत इतना चौड़ा है कि फुटबॉल के तीन मैदान बनाए जा सकते हैं।
– आईएनएस विक्रमादित्य की लंबाई 284 मीटर है। करीब 20 मंजिला ऊंचे इस एयरक्राफ्ट करियर में कुल 22 डेक हैं।
– इस पर 1600 से ज्यादा कर्मी तैनात रहते हैं और इस तरह यह एक तैरता हुआ शहर सा है।
– इस पर तैनात 30 युद्धक विमान और छह पनडुब्बी-नाशक व टोही हेलिकॉप्टर लगभग 500 किलोमीटर का सुरक्षा कवच तैयार करते हैं।
– इस पर हर महीने करीब एक लाख अंडों, 20000 लीटर दूध तथा 16 टन चावल की खपत हो जाती है।
– कपड़े धोने की मशीनों से लेकर चपाती और इडली मेकर तक सारी सुविधाएं मौजूद हैं। यह आर्कटिक जैसे बर्फीले इलाके में भी सक्रिय रह सकेगा।
– एक बार समुद्र में जाने के बाद यह 45 दिनों तक बिना किसी जरूरत के मूव कर सकता है।
– बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए18 मेगावॉट बिजली की सप्लाई करने वाले जेनरेटर हैं।
– समुद्र के पानी को साफ कर प्रतिदिन 400 टन पीने लायक पानी बनाने वाला आस्मोसिस प्लांट भी इसमें लगा है।
– इस पर 1600 से ज्यादा कर्मी तैनात रहते हैं और इस तरह यह एक तैरता हुआ शहर सा है।
– इस पर तैनात 30 युद्धक विमान और छह पनडुब्बी-नाशक व टोही हेलिकॉप्टर लगभग 500 किलोमीटर का सुरक्षा कवच तैयार करते हैं।
– इस पर हर महीने करीब एक लाख अंडों, 20000 लीटर दूध तथा 16 टन चावल की खपत हो जाती है।
– कपड़े धोने की मशीनों से लेकर चपाती और इडली मेकर तक सारी सुविधाएं मौजूद हैं। यह आर्कटिक जैसे बर्फीले इलाके में भी सक्रिय रह सकेगा।
– एक बार समुद्र में जाने के बाद यह 45 दिनों तक बिना किसी जरूरत के मूव कर सकता है।
– बिजली की जरूरतों को पूरा करने के लिए18 मेगावॉट बिजली की सप्लाई करने वाले जेनरेटर हैं।
– समुद्र के पानी को साफ कर प्रतिदिन 400 टन पीने लायक पानी बनाने वाला आस्मोसिस प्लांट भी इसमें लगा है।
पुराना होने के बावजूद क्यों खरीदा गया?
किसी देश की फौजी ताकत के प्रदर्शन और प्रसार में नौसैनिक बेड़े की अहम भूमिका रही है। फिलहाल हिंद महासागर में चीन और अन्य बाहरी देशों की नौसैनिक सक्रियता बढ़ती जा रही है, ऐसे में आईएनएस विक्रांत की जरूरत और अहम हो जाती है। हालांकि, कुछ आलोचक यह कहते हैं कि रूस के खराब हो चुके इस करियर को खरीदकर रिपेयर कराने की क्या जरूरत थी, लेकिन जानकार मानते हैं कि इस प्रकार का विमानवाहक पाेत किसी और देश से दोगुने दाम पर मिलता। सूत्रों के मुताबिक, आईएनएस विक्रमादित्य 70 फीसदी ब्रांड न्यू है, और उसका सिर्फ 30 प्रतिशत ढांचा पुराना है| गोर्शकोव-विक्रमादित्य’ प्रोजेक्ट के चीफ डिजाइनर सेर्गेई व्लासोव के मुताबिक, यह उनके जीवन में सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजना थी। उनके मुताबिक, यह कहना गलत होगा कि यह पुराना जहाज है। सिवाय इसके खोल के, इसके अंदर और ऊपर सब कुछ नया है, जिसमें उसके अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर उपकरण और रडार भी शामिल हैं। इसके इंजन, बॉयलर, इलेक्ट्रिक केबल, रडार, सेंसर आदि सभी बदल दिए गए हैं।
पहले भी खरीदे गए हैं सेकंड हैंड युद्धपोत
भारत ने सबसे पहले साठ के दशक में 18 हजार टन क्षमता वाले आईएनएस विक्रांत को ब्रिटेन से हासिल किया था और दूसरा विमानवाहक पोत 28 हजार टन विस्थापन क्षमता वाला विराट भी ब्रिटेन से ही 1988 में खरीदा गया था। ये दोनों ही पोत सेकंड हैंड थे। विक्रांत अब रिटायर हो चुका है और भारत इसी नाम से अब अपना विमानवाहक पोत बना रहा है।
किसी देश की फौजी ताकत के प्रदर्शन और प्रसार में नौसैनिक बेड़े की अहम भूमिका रही है। फिलहाल हिंद महासागर में चीन और अन्य बाहरी देशों की नौसैनिक सक्रियता बढ़ती जा रही है, ऐसे में आईएनएस विक्रांत की जरूरत और अहम हो जाती है। हालांकि, कुछ आलोचक यह कहते हैं कि रूस के खराब हो चुके इस करियर को खरीदकर रिपेयर कराने की क्या जरूरत थी, लेकिन जानकार मानते हैं कि इस प्रकार का विमानवाहक पाेत किसी और देश से दोगुने दाम पर मिलता। सूत्रों के मुताबिक, आईएनएस विक्रमादित्य 70 फीसदी ब्रांड न्यू है, और उसका सिर्फ 30 प्रतिशत ढांचा पुराना है| गोर्शकोव-विक्रमादित्य’ प्रोजेक्ट के चीफ डिजाइनर सेर्गेई व्लासोव के मुताबिक, यह उनके जीवन में सबसे चुनौतीपूर्ण परियोजना थी। उनके मुताबिक, यह कहना गलत होगा कि यह पुराना जहाज है। सिवाय इसके खोल के, इसके अंदर और ऊपर सब कुछ नया है, जिसमें उसके अत्याधुनिक इलेक्ट्रॉनिक वारफेयर उपकरण और रडार भी शामिल हैं। इसके इंजन, बॉयलर, इलेक्ट्रिक केबल, रडार, सेंसर आदि सभी बदल दिए गए हैं।
पहले भी खरीदे गए हैं सेकंड हैंड युद्धपोत
भारत ने सबसे पहले साठ के दशक में 18 हजार टन क्षमता वाले आईएनएस विक्रांत को ब्रिटेन से हासिल किया था और दूसरा विमानवाहक पोत 28 हजार टन विस्थापन क्षमता वाला विराट भी ब्रिटेन से ही 1988 में खरीदा गया था। ये दोनों ही पोत सेकंड हैंड थे। विक्रांत अब रिटायर हो चुका है और भारत इसी नाम से अब अपना विमानवाहक पोत बना रहा है।
News Source : bhaskar.com
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भारत -एक हिन्दू राष्ट्र
अंकिता सिंह
Web Title : Modi To Sail On Aircraft Carrier Vikramaditya
Keyword : Narendra modi, INS vikramaditya, goa,INS Vikramaditya,Indian Navyaircraft,carrier,Russia Air defence system
