उफ़ ये बुद्धिजीवी ! धन्य है इनका ऐतिहासिक व सामाजिक ज्ञान

चुनावी मौसम की शुरुआत होते ही ‘बुद्धिजीवी’ कीटकों को पंख उग आये हैं. सतही छिछले ‘विचारों’ की फडफडाहटों से राजनैतिक हवाओं के रूख को मोड़ने की चालाक किन्तु निरर्थक कोशिशें तेज़ हो चुकी हैं. यूं तो भारत और भारतीयता, संघ और राष्ट्रवादी विचारधारा, नरेंद्र मोदी और गुजरात पूरे वर्ष, बारहों महीने, आठ पहर-चौंसठ घडी […]
Nov 14 2013 | Posted in मेरी बात | Read More »
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